Monday, December 7, 2009
दर्शकों को लुभाया आरो ने
फिल्म पा का का जिस तरह दर्शको को इंतजार था, वो उनकी की कसौटी पर खरी उतरी है। प्रोजेरिया नामक बिमारी से पीड़ित बच्चे को आधार बना बुनी गई फिल्म की कहानी अमिताभ यानि आWरो तथा उनकी मां अर्थात विद्यावलान के इर्द-गिर्द ही धूमती है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिखायाा कि अभिनय के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं है। प्रोजेरिया से पीड़ित गबच्चे का किरदार जिस खूबी से उन्होंने निभाया है उसे देखकर कहना यह मुश्किल होगा कि उसे निभाने वाले 65 वर्षीय अमिताभ हैं। वो तारें जमीं के बाल कलाकार दर्शील सफारी की तरह ही स्वाभाविक अभिनय करते नजर आए हैं।आWरो की मां के रोल में विद्यावालन यह दर्शाने सफल रही हैं कि वह केवल पर्दे की रंगी-पुती हिरोइन ही नहींं, अभिनय की बारीकियां की समझ भी उनमें है। अभिनय के क्षेत्र में अभिषेक बच्चन भी जमें हैं। उनके रोल में बहुत सारे शेडस हैं। एक तरफ तो वो एक ऐसे प्रेमी हैं जो अपनी प्रेमिका बीच मझधार में छोड़ देते हैं तो वहीं वो एक नेता और इन सबसे ज्यादा एक पा हैंै। फिल्म के अंतिम दृश्यों वो प्रभावित करते हैं। परेश रावल तथा अरुंधति राय ने अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। इस संवेदनशील मुददे पर फिल्म बनाना और उसे सटीक ढ़ग से पेश करना आसान नहीं माना जा सकता। फिल्म निर्देशक आर. बाल्कि ने जिस तरह से पूरी फिल्म में कथानक को शिथिल नहीं पड़ने दिया उसे लेकर उनकी तारीफ किया लाजमी है। संवेदना की चाश्नी में डूबी फिल्म मे जहां तहां निर्देशक ने पात्रों के माध्यम से के कहीं भी फिल्म को ंशिथिल पड़ने नहीं दिया। स्वानंद किरकिरे के गीत तथा इलयराजा का संगीत ताजगी लिए हुए हैं। गुमसुम गीत श्रोताओं में पहले ही लोकप्रिय हो चुका है।
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